Sahara india latest news - Sahara india pariwar -SIFCL

सहारा इंडिया कोर्ट केस एंड रिफंड पोर्टल अपडेट 29.02.2024 BAIL MATTER ? NBFC RBI CASE ? TOP 20 

Sahara india ka paisa kab milega 




Sahara india latest news :नमस्ते मेरा नाम सन्नी है  सहारा इंडिया फाइनेंशियल का और टॉप 20 डायरेक्टर और साथ में बेल वाला मैटर यह तीनों केस का में क्या हुआ यही अपडेट आज हम आप लोगों को बताएंगे क्योंकि हम अपने पिछली वीडियो में बताए थे कि 2627 को हियरिंग है तो हियरिंग में क्या हुआ यह आप लोग जान लीजिए दो मैटर तो सुना ही नहीं गया है पहला बेल वाला मैटर जो है वह एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट में केस ट्रांसफर दिखा रहा है स्पेशल जज बेंच से एडिशनल सेशन बेंच में ट्रांसफर हो गया था.


26 फरवरी को जिसके चलते 27 फरवरी वाला डेट पर एडजर्न कर दिया गया मैटर को और एडजर्न कर दिया गया तो अगला डेट तुरंत लग गया है व भी 1 मार्च का देखने वाली बात है कि बेल इनको मिलती है एंटीसिपेटरी की नहीं मिलती है 3 हज कोर्ट का यही मामला है दूसरा अपडेट है कि जो टॉप 20 वाला केस था डायरेक्टर लोगों का जो लिस्ट मांगा गया है उसमें एक आईए फाइल हुआ था एक एडवोकेट के द्वारा कि यह मिस रिप्रेजेंट कर रहे हैं कोर्ट को जो कि शुरू से इनका आदत रहा है पब्लिक के तो आंख में धूल झकते ही है!


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कोर्ट को भी बहुत हद तक कोशिश करते हैं कि बल गला दिया जाए आंख में धूल झोक दिया जाए तो उसी के लिए स्पेशल आईए फाइल हुआ था यह है तो मामला प्राइम सिटी से रिलेटेड उसमें एक आईए फाइल करके बताया जा रहा है कि इन्हो ने मिस रिप्रेजेंट किया है मैटर को इसी के सुनवाई में आपका टॉप 20 या टॉप 50 कंपनियों का लिस्ट मांग दिया गया था संपत्ति का टॉप 20 डायरेक्टर लोगों का जिसकी उम्मीद थी 27 तारीख को की कहीं सुनवाई होगा तो कहीं ना कहीं कुछ रास्ता निकलेगा कि कौन टॉप 10 20 डायरेक्टर है उनकी संपत्ति क्या है और क्या यह लिस्ट जाने से कुछ सहारा में सुधार होता है कि नहीं होता है लेकिन संजोग खराब है जमा कर्ताओं का इसमें भी नॉट लिस्टेड करके नॉट टेकन अप मतलब लिया ही नहीं गया मामला सुनवाई के लिए और मामला चला गया.



अप्रैल में वो भी आपका 9 अप्रैल 2024 को अगली सुनवाई है लंबा डेट नहीं है सुप्रीम कोर्ट के लिए एक महीना कोई डेढ़ महीना कोई ज्यादा दिन नहीं है लेकिन मैटर इसमें इंपॉर्टेंट यह है कि स्पेशल आईए फाइल किया गया है कि यह कोर्ट को बलग की कोशिश किए हैं पहले उसमें क्या होता है जिसमें कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए डायरेक्टरों का लिस्ट मांगा था इसीलिए य इंपॉर्टेंट है कि हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि सारा ग्रुप की टोटल जितनी कंपनियां है जिसमें संपत्ति है उसका मामला एक जगह आए और कहीं ना कहीं समाधान लोगों के भुगतान से रिलेटेड निकले और कोई मतलब नहीं है सहारा का 500 मामला चले उससे कोई मतलब जिसमें पब्लिक का पैसा जमा है


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उसका भुगतान कैसे हो एक पोर्टल आया उसमें भी द हज या पोर्टल बन के रह गया है और इससे जमा करता को कम और सहारा को ज्यादा फायदा हो होते हुए दिख रहा है पैसा लाई है सेंट्रल रजिस्टार और टोटल कस्टडी सेंट्रल रजिस्टार के कब्जे में है 5000 करोड़ भुगतान भी वही कर रही है सहारा को केवल सपोर्ट करना है उसका कि जो आपका फॉर्म है डाटा है उसको सही से वेरिफिकेशन परपस से सोसाइटी को दे दे वो भी मुहैया नहीं करा पा रही है जिसके चलते डिफिशिएंसी आ रहा है नियम कानून तो अभी दूसरा है मल्टीपल मेंबरशिप आईटी आर सब तो मामला ही दब गया है अभी अभी मेन मामला चल रहा है कि फॉर्म अकाउंट ओपनिंग और शेयर फॉर्म स्कैन करके प्रोवाइड नहीं किया जा रहा है सोसाइटी को चेक करने के लिए जब जब तक चेक करने के लिए प्रोवाइड नहीं किया जाएगा


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तब तक हमको नहीं उम्मीद है कि तीसरा फेज जो लोग बार-बार पूछ रहे हैं वो आएगा कि बर से कब ऊपर कब ऊपर जब तक टोटल फॉर्म स्कैन होके नहीं चला जाता है इसके लिए या तो नोटिफिकेशन सहारा दे दे या सीआरसीएस दे दे क्योंकि नवंबर से ही लोग इंतजार कर रहे हैं कि 200 से ऊपर का क्लेम लिया जाएगा जब मूलधन ही पाना है है तो वो भी कम से कम मिल जाए लेकिन ऐसा होते हुए नहीं दिख रहा है सुप्रीम कोर्ट में मामला जो इसके लिए फायदा का है वो लिस्ट हो जा रहा है तुरंत हम आप लोगों को बताए थे कि फाइनेंसियल का मामला 19 में गई थी और उसके बाद 24 में जाकर लिस्ट करा लिया गया फरवरी में उसमें हियरिंग भी हो गई 27 तारीख को बहुत सारे वकील लोग उसमें खड़ा हुए हैं.



दोनों तरफ से आरबीआई के तरफ से भी और फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन के तरफ से और लेकिन मामला को छ महीना सात महीना आगे टाल दिया गया टाल दि हियरिंग के बाद बोला गया है कि सुप्रीम कोर्ट है अगला नंबर जब आएगा तो सितंबर में आपका 24 सितंबर 2000 24 को अब सुनवाई होगा सरा इंडिया फाइनेंस सुप्रीम कोर्ट में ये फिर इसी मामले में जो आरबीआई का जो आदेश था रजिस्ट्रेशन कैंसिलेशन का फाइनेंशियल का उसके अगेंस्ट में आरबीआई का भी अपीलेट अथॉरिटी होता है वहां पे भी गई थी वहां प भी फाइल बहुत दिन तक दबा रहा जिसके चलते दिल्ली हाई कोर्ट में जाके आदेश लाया गया कि इस मामले को टाए आप बहुत दिन तक फाइल को नहीं रोक सकते तो उसके आदेश में भी यही बोला गया कि जो कैंसिलेशन ऑफ रजिस्ट्रेशन है वह सही है आरबीआई का आपको मौका पर्याप्त दिया गया 2007 से लेकर 2015 तक कि आप सुधर जाइए आप जैसा नियम कानून है उस नियम कानून से चलिए नहीं तो कैंसिल कर दिया जाएगा.


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वही हुआ कैंसिल कर दिया गया अब यह बोल रहे कि हमको बढ़िया से नहीं सुना गया क्योंकि सा साल इसके लिए कोई ज्यादा टाइम नहीं होता है और बहुत सारा हियरिंग हुआ उसके बाद भी बोला जा रहा है इसके द्वारा कि हियरिंग कोई और ऑफिसर करते हैं और ऑर्डर किसी और ऑफिसर का है तो एक पॉइंट इसको मिल जाता है इनके लीगल सेल को जिसके चलते वो लेके ये मामला किसी उपरी अदालत में जा सकते हैं वो मिल गया इसमें कि ऑर्डर कोई और अधिकारी किया है और सुनवाई कोई और किया है तो इसके बेसिस पर आप में हमको स्टे दे दीजिए कि कैंसिलेशन ऑफ रजिस्ट्रेशन को थोड़ा दिन के लिए रुक जाए हां जो ज्ञान दनी मूर्ख दनी लोग हैं वो लोग को हम बता दे कि ये कहीं से इसका मायने नहीं निकाले कि रजिस्ट्रेशन का जो कैंसिलेशन रोकने जा रही है सारा यह काम करने के लिए जा रही काम करना रहता तो 2007 से लेकर 15 तक सुधर गई रहती यह केवल एक केवल लिक्विडेशन प्रोसेस जो इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऑर्डर के हिसाब से चल रहा है



उसको रोकने के लिए यह जा रही है और एक साथ दो कोर्ट में मामला नहीं चल सकता है फिर दिल्ली हाई कोर्ट में भी चली गई अपीलेट थोटी के ऑर्डर के खिलाफ में और सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट वाला मैटर जो इलाहाबाद हाई कोर्ट का लखनऊ बेंच का ऑर्डर था उसके अपील में गई हुई थी लेकिन जो आरबीआई के एडवोकेट हैं उन्होंने मैटर उठा दिया कि जो यह ऑर्डर है अपीलेट अथॉरिटी का इसकी पे हम लोग कोई एक्शन अभी नहीं लिए हैं क्योंकि यही कंपनी खुद वाइंडिंग ऑफ लिक्विडेशन के प्रोसेस में है.

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हाई कोर्ट के ऑर्डर से तब इनका नींद खुला कि नहीं तो यह तो मामला सुप्रीम कोर्ट में हम ऐसे ही रजिस्टर करके छोड़ दिए थे इस पे तो स्टे मिला ही नहीं है अभी तक तो वही चाह रही है कि कहीं ना कहीं से हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट कहीं से एक लाइन लिख दिया जाए कोर्ट के तरफ से कि अटिल फदर ऑर्डर आप कुछ नहीं करेंगे जैसे क्यू शप में हुआ है लिक्विडेशन का प्रोसेस अगर शुरू हो जाए और वो खत्म हो जाए लिक्विडेशन कर दिया जाए तो मामला ही सारा का रफा दाफा हो जाएगा और बचा क्या है लेकिन कहीं ना कहीं कानूनी पेचो का सहारा लेते हुए चाहती है कि मामला को लंबित रखा जाए बहुत लोग यह बोल रहे हैं कि फाइनेंसियल के मैटर से क्या करना है इसमें तो किसी का पैसा ही नहीं है तो हम आप लोग को बता दे जो सोसाइटी आप लोग देख रहे हैं



वो सोसाइटी आपका साइफन है साइफन आप लोग हमारे यहां भोमा बोला जाता है जो पानी इस इस तरफ से उस तरफ भेजने केलिए तो इनको से भी आरबीआई और आईआरडीए से बचने के लिए कोई रास्ता चाहिए होता जो कि कमजोर करी थी सोसाइटी जो कि बना लिए 2010 से 2014 के बीच में तीन चार और उसके रास्ते से पैसा तो गया एमबी भली में तो जब तक आप लोग सही चीज नहीं जानिए कि किस मैटर से क्या होना था इसका बड़ी बड़ी कंपनिया सहारा ग्रुप की फाइनेंसियल कमर्शियल प्राइम सिटी आपका एबी भली लिमिटेड यही चार पांच कंपनिया जहां संपत्ति है.


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 और सोसाइट से पैसा उठाकर इन सब कंपनियों में लगाया गया है वो भी शेयर का लेनदेन करके क्योंकि ये एमबी भली तो 2 च से चल रहा है 2000 के पहले का भी है उसमें इन्वेस्टमेंट है लेकिन उसमें पैसा गया कैसे जब सोसाइटी 2010 में बनी तो यह शेयर का लेनदेन है इसका इन्वेस्टमेंट उसमें उसका इन्वेस्टमेंट उसमें सेबी आरबीआई और आईआरडीए से बचने के लिए इन्होंने सोसाइटी बनाया और पैसा उठाया सोसाइटी से और लेके गए एमबी भैली के तरफ तो ये केवल और केवल सेबी और आईआईडीए से और आरबीआई से बचने के लिए किया गया तो हमको जानना यह भी जरूरी है जहां संपत्ति है वहां क्या हो रहा है प्राइम सिटी में क्या हो रहा है फाइनेंसियल में क्या हो रहा है एमबी भली का नीलामी हो जाता तो मैटर ही सॉल्व हो जाता क्योंकि 5000 करोड़ के बाद पैसा कहां से आएगा एमबी भैली जहां बोली है कि 62000 करोड़ हम लगाए हैं और वो कितना में बिकता है देखने वाली बात है



 क्योंकि एक बार कंटेंट का केस भी चला है सुप्रीम कोर्ट में कि 6 महीना से ज्यादा आप सुप्रीम सुब्रत रा सहारा को जेल में नहीं रख सकते हैं यह ठीक नहीं है बड़े-बड़े वकील लोग इनका सुप्रीम कोर्ट में य केस फाइल कर चुके थे लेकिन कोर्ट का कहना था कि आप शौक से जेल में है आपको कौन निकाल सकता है जब आप खुद बोल रहे हैं कि मेरा 3 लाख करोड़ का संपत्ति है और आपको मात्र 36000 करोड़ आप लोग याद रखिएगा 24000 करोड़ प्रिंसिपल प्लस इंटरेस्ट जोड़ के रियल एस्टेट और हाउसिंग का 36000 करोड़ का जिक्र है ऑर्डर में कि मात्र 36000 करोड़ जो कि 3 लाख करोड़ का वन फोथ है न फथ है 20 पर है.


सहारा इंडिया का पैसा कब मिलेगा 


वो भी आप नहीं जमा कर रहे हैं आज जेल जाना चुन रहे हैं कि नहीं हमको जेल में डाल दीजिए तो आप तो अपने चॉइस से अपने शौक से जेल में गए हैं यह कोर्ट के ऑर्डर का बात है बहुत लोग य भी बोलता है कि छ महीना से ज्यादा जेल नहीं रख सकते नहीं रख सकते थे इसका भी केस हो चुका है सुप्रीम कोर्ट में उसमें भी कोर्ट ने ये कहा कि आप शौक से जेल में है कंटेट का कोई मामला नहीं है रिलीज ऑफ मनी में हम आपको रख सकते हैं नहीं तो कोई भी कल्प कंपनी बनाएगा पैसा नहीं देगा सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा बोलेगा कि छ महीना के लिए हमको जेल में रख लीजिए जब तक मामला लंबित रहता है और 10 20 साल केस चलेगा तब तक उसका जीवन पार तो रिलीज ऑफ मनी में इनको जेल में रखा गया कि जब तक आप पैसा नहीं जमा करिएगा लोगों का तब तक पैसा आपको जेल में रहना पड़ेगा तो क्वेश्चन लोग मार्क लगाते हैं.



इस लेख कि इससे नहीं मतलब हमारा काम है कुछ ना कुछ सही अपडेट जो है आप लोग तक पहुंचाए पैसा देना सरकार का काम है पोर्टल में हम कुछ नहीं कर सकते हैं बहुत लोगों का 5000 आ रहा है और पोर्टल पर दिखा रहा है कि 5 लाख आया तो उसमें एक मिस्टेक हो रहा है टेक्निकली सॉफ्टवेयर का दोष है कि दो जीरो बढ़ा के दिखा रहा है जो पॉइंट के बाद जीरो जीरो पैसा में होता है व भी जोड़ दे रहा है 10000 आया था 10 लाख हो जा रहा है तो यह कहीं गड़बड़ी नहीं है 100 हज आपको मिल रहा है 10 लाख आने लगे तोब तो टेंशन ही खत्म है वो जो पॉइंट के बाद जीरो जीरो है उसको टेक्निकली एक ही साथ दिखा दे रहा है



और अकाउंट में 100 हज आपको आएगा तो कहने के लिए बहुत कुछ है लेकिन इस वीडियो में इतना ही रखते हैं वीडियो को लंबा नहीं करते हैं आप लोग इंतजार कीजिए कि अब क्या होता है अगला डेट अब मैक्सिमम डेट अब अप्रैल में चला गया क्योंकि मार्च में बहुत सारा छुट्टी है फिर जैसा अपडेट रहेगा हम आप लोग को करते रहेंगे और जो पीआईएल रीट जो लगा है कुशवाहा जी के द्वारा हो सकता है कि मार्च में उसका सुनवाई हो जाए तो हो जाए तो उसका नोटिस इशू होता है और कितना दिन में एजेक्ट पॉइंट पर केस पहुंचता है यह देखने वाली बात है.

sahara india ka paisa kab milega 2024


उम्मीद यही करते हैं कि जल्द से जल्द लिस्ट हो और सहारा को कहीं से पेमेंट करने के लिए मना ही नहीं है चाहे वो ब्रांच से करे चाहे ऑनलाइन करे चाहे कुछ भी करे जैसे केस में कर रही है कहीं भी कर सकती है ये 5000 करोड़ सीआरसी कर रही है तो कहे नहीं सारा अपना ही केस टम भली का लिस्ट लीस्ट करा रही है लिस्ट करा ले रही है सुप्रीम कोर्ट में जो कि पिछले डेढ़ साल से लंबित है जब फाइनेंसियल का केस एक महीना में लिस्ट हो सकता है ये अपने आप तो हुआ नहीं होगा कोई ना कोई सारा की तरफ से कराया होगा देखा होगा कि कहीं पेंडिंग प्रोसेस जो है वो हो मत जाए इसीलिए रोकना जरूरी है सुप्रीम कोर्ट चलके तो एमबी वैली का मामला है मेन सहारा से भी विवाद है इसको लिस्टिंग अपने एड से सारा क्यों नहीं करा रही है कि हमको भी कुछ पैसा दे दीजिए



 हम ब्रांच से बांटे जैसे फाइनेंसियल का जाके बोली सुप्रीम कोर्ट में तो डेट मिला हियरिंग हुआ उसमें भी हो सकता है लेकिन कोई जाए तब ना तो सरकार को तो कोई मतलब ही नहीं है अपना 5000 करोड़ के इलेक्शन निकाल लेगी 5000 करोड़ से फिर अब इलेक्शन बाद जो होगा वो देखा जाएगा खैर जो होगा फिर हम जैसे होगा सही सही जानकारी आप लोग तक पहुंचाते रहेंगे अभी देखते रहिए आगे-आगे होता है क्या परेशानी तो है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन रास्ता भी दूसरा नहीं है डिफिशिएंसी हटाइए पोर्टल का उम्मीद है कि जल्द ही 20000 से ज्यादा का भी डिफिशिएंसी हटेगा कि 5000 करोड़ बंट जाए अभी के लिए इतना ही


🙏 धन्यवाद🙏

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