Sahara india ka paisa kab milega-sahara india latest news

Sahara india ka paisa kab milega-sahara india latest news|सहारा निवेशकों के साथ धोखा|सांसद रमेश अवस्थी लाइव




नमस्कार मैं हूं सन्नी कुमार गुप्ता और creator sanni में स्वागत है सहारा इंडिया के 12-13 करोड़ निवेशकों के जख्म पर नमक छिड़कने का जो सबसे सटीक एग्जांपल पेश किया है वह है भारतीय जनता पार्टी इस वक्त कानपुर लोकसभा क्षेत्र से रमेश चंद अवस्थी को प्रत्याशी बनाया गया है भारतीय जनता पार्टी की तरफ से रमेश चंद अवस्थी जो एक पत्रकार के तौर पर सबसे ज्यादा जाने पहचाने चेहरा है आपने बहुत सारी खबरें देखी जरूर होगी लेकिन एक बहुत ही खास वाक्य इस समय निकल कर के आ रहा है कि जब वह अपने लोकसभा क्षेत्र कानपुर आ रहे थे उस समय कानपुर रेलवे स्टेशन पर उतरते समय वहां के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनको स्वागत ना करके किसी अन्य का ही फूलमाला पहना करके स्वागत कर दिया अब यह बहुत ही खास हो निकल करके आया बहुत सारे सोशल मीडिया में खबरें हैं


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इस समय कि वहां के कार्यकर्ता ही लोकसभा प्रत्याशी को नहीं पहचान पा रहे हैं तो भला आम जनता कैसे उनको वोट देगी तो और साथ ही इस वाक्य पर रमेश चंद अवस्थी खुद क्या सफाई दिए हैं और साथ ही देश से 12 से 13 करोड़ निवेशक जहां पीड़ित हैं सहारा कंपनी के बहुत सारे गतिविधियों से उस परिस्थिति में जब सहारा ग्रुप से जुड़ा हुआ व्यक्ति को लोकसभा प्रत्याशी बनाया जाता है तो यह कितना सहारा निवेशकों के साथ धोखा अन्याय है उनके जख्म पर नमक छिड़कने का कार्य किस प्रकार से किया है किया गया है इस परे एक सटीक विश्लेषण भी लेकिन सबसे पहले आपको उस वाक्य को मैं जब कार्यकर्ता ने वहां के राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद को ही फूल मेला पहना करके स्वागत कर दिया चलिए भारतीय जनता पार्टी के किसी भी प्रत्याशी से आमतौर पर पूछा जाए कि वो जीत को लेकर क्यों आश्वस्त है तो जवाब मिलता है प्रधानमंत्री मोदी का इस सवाल की वजह है कानपुर से आया यह वीडियो जहां बीजेपी ने इस बार रमेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया है रमेश अवस्थी शताब्दी ट्रेन से कानपुर पहुंचे अपने रेल कोट से उतर भी नहीं पाए तब तक ट्रेन से उतरते दूसरे शख्स को कार्यकर्ताओं ने अपना प्रत्याशी समझकर दावा है कि फूल माला पहना दिया बाद में पता चला कि जिन्ह कानपुर से प्रत्याशी समझकर कार्यकर्ता माला पहना रहे हैं वो राज्यसभा सांसद बाबूराम निषद है


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भारतीय जनता पार्टी ने कानपुर से वर्तमान सांसद सद देव पचौरी का टिकट काटकर रमेश अवस्ती को दिया ये एक वाकया था अब इस पर क्या सफाई  दिए हैं रमेश चंद्र अवस्थी वह भी आप सुन लीजिए तब मैं इस पे एक सटीक विश्लेषण करूंगा कि कैसे सहारे निवेशकों के साथ यह अन्याय हुआ है कैसे उनके भावनाओं से खेला है भारतीय जनता पार्टी ने उस परे भी मैं एक सटीक चर्चा करूंगा भारतीय जनता पार्टी ने कानपुर से वरिष्ठ पत्रकार रमेश अवस्थी को अपना उम्मीदवार बनाया है इस वक्त बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं कुछ ही समय पहले सहारा के संपूर्ण संपादक पद से इन्होंने इस्तीफा भी दिया है रमेश जी यह बताइए कि पार्टी का जो टिकट आपको मिला है वरिष्ठ पत्रकार होने से यह पार्टी का जो टिकट आपको मिला है इसका सफर कैसा रहा और कैसे बीजेपी में एंट्री हुई देखिए पहले तो आपको यह बता द कि आप लोगों को यह जानकारी करनी चाहिए अगर आप पार्टी की जो पदाधिकारियों के बारे में जानते हैं तो भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश कार्यकारणी का सदस्य एक पद होता है आप इस्तीफे की बात करते हैं जब भी कोई व्यक्ति समाज में रहता है


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चाहे वह राजनीति करे चाहे वो दुख धंधा करे तो कहीं ना कहीं आपको काम तो करना पड़ता है तो मीडिया में मैं काम कर रहा था और मुझे लगा कि मीडिया में मैं काम कर रहा था मैं सीधे-सीधे पार्टी के लिए काम करूं तो मैंने उसको रिजाइन कर दिया और मैं सीधे पार्टी के लिए काम करने लगा लेकिन आपको ये बता द 2014 में मैं पार्टी के लिए काम कर रहा था वहां 2014 में मैं लोकसभा बांदा से प्रत्याशी था 2019 में मैं बांदा लोकसभा से प्रत्याशी था और भारतीय जनता पार्टी से था तो ऐसा नहीं कि मैं पत्रकार हां ये पत्रकारिता के साथ मैं राजनीति कर रहा कर रहा था क्योंकि मेरा मेरे जो परिवार है वो 1967 से संघ से जुड़ा रहा और मेरे पारिवारिक बड़े भाई 1967 से जनसंघ से चुनाव लड़ चुके हैं तो मेरा पूरा एक परिवार मानसिक रूप से पार्टी के साथ जुड़ा हूं मैं कुछ स्व सेवक के रूप में काम कर रहा था तो मैं भारतीय जनता पार्टी से 10 साल से लगातार सीधे-सीधे काम कर रहा हूं और मैं 10 साल से लगातार चुनाव हर दिन लड़ रहा था ये लोग कह रहे हैं


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 मैं पत्रकार के नाते मुझे पत्रकार के नाते टिकट नहीं मुझे भारतीय जनता पार्टी के एक छोटे से कार्यकर्ता के नाते टिकट मिला मुझे भारतीय जनता पार्टी का जो सिस्टम होता है आप जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के सिम क्षेत्र से स्टेट से नाम जाते हैं चयन होता है सर्वे होता है फिर उसके बाद बहस होती है तो उसके आधार पर जब चयन उस आधार पर मेरा चयन हुआ है कोई जी जी आज आप कानपुर आपका आगमन हुआ हमने देखी बहुत भीड़ भी थी रेलवे स्टेशन पे उसी में से एक वाक्य सामने निकल कर आया सोशल मीडिया पे एक वीडियो आपका बहुत वायरल हो रहा है जिसमें पहले सांसद जी हैं राज्यसभा के वो सामने निकल कर आते हैं ये दिखाया जा रहा है स मीडिया पर कि आपको सोचते हुए कार्यकर्ताओं ने उनका पहले स्वागत किया उनको मालाई डाल दी फिर जब पता लगा कि आप अभी बाहर नहीं निकले तो उनको छोड़ के आपके पास चले गए आपने देखा इसको सोशल मीडिया प मैंने पूरा देखा ये एक हास्यास्पद वीडियो है और जिसको एक प्लान के तहत वहां प जो कोई व्यक्ति था उसने शूट किया आप ये बताइए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता यहां पे जो सांसद थे उनके बारे में आपको जिन्होंने डाला उनको नहीं पता कि वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद है और हमारा कार्यकर्ता और कहां के रहने वाले वो हमीरपुर के रहने वाले मेरे साथ वो वहां ऐसा नहीं कि अचानक लगा गए मेरे साथ वो आए पार्टी ने उन्हें भेजा कि आप मेरे साथ वहां दिल्ली से आएंगे और भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता उन सांसद को जानता है कि यह सांसद इनका इनाम है भारतीय जनता पार्टी में वह 5 साल कानपुर के प्रभारी रहे हैं तो क्या ये संभव है


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 भारतीय जनता पार्टी का ऐसा व्यक्ति भारतीय जो 5 साल कानपुर नगर में प्रभारी रहे और उसको कार्यकर्ता ना जाने और ये मान ले के लिए ये साहब रमेश बस्ती है ये सिर्फ जो एक होता है नहीं कि ट्विस्ट करने वाली बात वो ट्विस्ट करने वाली बातें हैं और उस ट्विस्ट करने में जो आप लोग हैं वो भ्रमित हो जाते हैं तो आप ये बताइए कि 5 साल जो कानपुर में प्रभारी है और जिन लोगों ने माला जा वो भी कानपुर में लगातार राजनीति कर रहे हैं तो ये नहीं जानेंगे कि ये सांसद जी कौन है ये हमीरपुर के सांसद रहने वाले लोगों का कहना है कि आपकी और उनकी शकल और कत काठी बहुत मिली थी इसलिए कंफ्यूज हो गए कार्यक्रम देखिए हम मैं ये नहीं जान हो सकता है कत काटी एक ई ई व मिल गए लेकिन मैं इतना जान जानना चाहता हूं कि ऐसा भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता आप तो कानपुर में रहते हैं मैं 10 साल नहीं 15 साल से लगातार कानपुर में हूं हर कार्यकर्ता से सीधा-सीधा मेरा संपर्क है मैं प्रदेश भ जनता पार्टी की कार्यकारणी का सदस्य हूं तो ऐसा संभव है कि हर कार्यक्रम में मैं अटेंड करता हूं ऐसा संभव है कि मुझे कोई जानता नहीं है लेकिन ये तमाम छोटी-छोटी चीजें चुनाव चल रहा है ये सब मुद्दे छोटे-छोटे ट्विस्ट करके लोग दूसरे ट अभी सोशल मीडिया में करके एक पैकेज देके उनको किया जा रहा है तो करने दो तो देखा आपने किस प्रकार से रमेश चंद्र अवस्थी ने इस वाक्य पर सफाई दिया है और उन्होंने साफ कहा कि यह सोशल मीडिया की प्रोपेगेंडा है और यह पैकेज के तहत किया जा रहा है इसको ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है मुझे सब कोई जानता है


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जिनको फल माला पहनाया गया है वो कोई नए व्यक्ति नहीं है और उनको भी सब कोई जानता है तो ये उन्होंने सफाई दिया है लेकिन अब सवाल यह है कि रमेश चंद्र अवस्थी जो कि सहारा समय के संपादक रह चुके हैं सहारा के संपादक रह चुके हैं न साल बतौर इस पद पर कार्य कर चुsahara india ka paisa kab milegaके हैं तो सहारा समूह से जुड़े हुए व्यक्ति को जब भारतीय जनता पार्टी अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाती है तो क्या उससे सहारा निवेशक के भावनाओं को आहत पहुंचाती है जी हां जब देश के 12 से 13 करोड़ निवेशक इस समूह से पीड़ित है इस समूह के तमाम पिछले कई सालों की गतिविधियों से पीड़ित है जहां इनकी खुद की जीवन की गाढ़ी कमाई निवेश है और मिल नहीं पा रहा है उस परिस्थिति में जब इस समूह से जुड़ा हुआ कोई व्यक्ति जब लोकसभा प्रत्याशी बनता है तो निश्चित रूप से लोगों की भावनाएं आहत होगी क्योंकि हर किसी का अपना पैसा इस समूह में फंसा हुआ है तो जब एक तरफ भारती जनता पार्टी यह दावा कर रही है जैसे कि आप सभी को पता है अमित शाह जी ने साफ कहा है कि हर एक निवेशक को हम एक एक रुपया वापस लौटा आएंगे लेकिन आज की जो वर्तमान परिस्थिति है


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वह एक मात्र दिखावा ही रह गया है सारे रिफंड पोर्टल से भुगतान तो हुआ मगर ना मात्र लोगों को ही ना मात्र की रुपए की भुगतान की गई2500000 उस परिस्थिति में जहां देश के 12से13 करोड़ निवेशक पीड़ित हैं लगातार अपने भुगतान के लिए आवाज उठा रहे हैं हर एक क्षेत्र में चाहे प्रदर्शन हो धरना प्रदर्शन हो आंदोलन हो या फिर माननीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा हो हाई कोर्ट का दरवाजा हो जिला न्यायालय के दरवाजा हो तमाम जगहों पर निवेशक जाकर के अपना ज्ञापन दे रहे हैं अपने भुगतान के लिए उस परिस्थिति में जब किसी समूह से जुड़ा हुआ व्यक्ति को जब लोकसभा प्रत्याशी बनाया जाता है जहां जनता कुद खुद वोट देकर के उस प्रत्याशी को चुनती है तो यह एक प्रकार से नेस्को के भावनाओं के साथ खेला जरूर गया है ऐसा होना नहीं चाहिए था लेकिन बहरहाल भारतीय जनता पार्टी है उनकी अपनी रणनीति है और इस वीडियो में रमेश चंद्र अवस्थी ने यह कहा भी है कि हम एक पत्रकार के तौर पर नहीं जब मीडिया ने साफ पूछा कि आप एक पत्रकार हैं और पत्रकार के बदौलत आपको प्रत्याशी बनाया गया है तो उन्होंने साफ कहा है


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ये एक सिर्फ एक लाइन को आप मत समझिए इससे पहले भी हमारा बैकग्राउंड समझिए कि हम पिछले दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं बांदा से 2014 में भी और 2019 में भी और हम पिछले 10 सालों से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं हम एक कार्यकर्ता हैं भारतीय जनता पार्टी का इसके साथ ही हम अपनी रोज मारा की जिंदगी चलाने के लिए हम कोई भी उद्योग धंधा कार्य करते हैं जो कि हमारा पैशा था एंकर का या फिर पत्रकारिता जगत का और उन्होंने वीडियो में कहा भी है कि हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता भी रह चुके हैं हमारे पिताजी भी जुड़े हुए थे तो इस तमाम परिवार के लोग जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं तो निश्चित रूप से आप सभी को पता है जब कोई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा हुआ व्यक्ति इस प्रकार के पद पर है चर्चित चेहरा है तो टिकट मिलना स्वाभाविक है भारतीय जनता पार्टी के क्या रूल्स और रेगुलेशन है आप सभी को पता है कि किस प्रकार के लोगों को टिकट दिया जाता है लेकिन जब देश के 12 से 13 करोड़ निवेशक पीड़ित हैं लगातार उनका भुगतान मिल नहीं पा रहा है सहारा समूह भुगतान कर नहीं पा रही है सरकार भी इस पर कोई बड़ा एक लेते हुए इस समय नजर नहीं आ रही है उस परिस्थिति में जब इस समूह से जुड़े हुए किसी चर्चित चेहरे को सामने लाया जाता है लोकसभा प्रत्याशी के रूप में तो निश्चित रूप से निवेशकों के भावनाओं के साथ जरूर खेला गया है उनके जख्म पर जरूर नमक छिड़कने के कार किया गया है इस पर आप सभी की क्या राय है एक बार कमेंट बॉक्स में आप सभी लोग जरूर लिखिए मिलेंगे तब तक के लिए जय हिंद



🙏धन्यवाद 🙏

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